हक़ीक़त से गुमराह,
ना मैं हूँ, ना तूम हो...
जज़्बातों की बुनियाद,
ना मैं हूँ, ना तूम हो...
मोहब्बत तो कब की
दफ़्न है यादों में।
एहसास-ए-सरोकार में,
ना मैं हूँ, ना तूम हो...
Haqiqat se gumrah,
Na mai hu, na tum ho...
Jajbaton ki buniyaad,
Na mai hu, na tum ho...
mohabbat to kab ki
dafn hai yaadon mein
Ehsaas-e- sarokar me,
Na mai hu, na tum ho...
Click here for Next