ग़ुस्ताख़ियों को अपना समझा,
क्यूँ की वह मोहब्बत थी...
ग़ुस्से को सच्चा समझा,
क्यूँ की वह मोहब्बत थी...
ना रखा हिसाब बेईमानी का,
ना जताया एहसान वफ़ाई का।
पत्थर को ज़िंदा समझा
क्यूँ की वह मोहब्बत थी...
Gustakhiyon ko apna samjha
kyu ki wah mohabbat thi...
gusse ko sachha samjha
kyu ki wah mohabbat thi...
Na rakha hisab beimani ka,
Na jataya ehsaan wafaayi ka.
patthar ko zinda samjha,
kyu ki wah mohabbat thi...
Click here for Next